Not known Details About baglamukhi sadhna
“शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिनि संहिता‘ के पाँचवें अध्याय की २३, २४, २५ वीं कण्डिकाओं में अभिचार-कर्म की निवृत्ति में श्रीबगला महा-शक्ति का वर्णन इस प्रकार आया है-
।। ऊॅं ह्लीं पीताम्बरा वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हाम् कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊॅं फट् ।।
यह तंत्र साधना कभी न करे एक शादीशुदा साधक tantra sadhana
The fast going human being becomes crippled. The conceit on the conceited human being is decreased. Educated particular person nearly turns into a fool. Salutations into the compassionate Bagalamukhi!
As the nevertheless place among dualities she allows us to master them. To begin to see the failure hidden in good results, the death concealed in life, or the Pleasure hidden in sorrow get more info are means of contacting her fact. Bagalamukhi is the secret existence of the other wherein Each individual matter is dissolved back again in to the Unborn and the Uncreated.
‘वेद’ एवं ‘तन्त्र’ के सन्दर्भ में : सिद्धि-प्रदा श्रीबगला-मुखी “राष्ट्र-गुरु’ श्री स्वामी जी महाराज
‘सुभूता’ आनन्दार्थ अनेक रूपों में आविर्भाव होनेवाली।
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं फट
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
‘ रक्षोहणं वलग-हनं वैष्णवीमिदमहं तं वगलमुत्किरामि । ‘
सबसे सरल मोहिनी मंत्र – तीव्र साधना…
श्रीबगला विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।
आचमनी में कर्पूर-मिश्रित जल लेकर, उसे देवता को अर्पित करने के लिए ताम्रपात्र में छोड़ें।